पल – दो – पल की खुशियाँ थीं वो
पल – दो – पल के सपने
आँख खुली तो , कुछ भी पास नहीं था
बस ! थे कुछ बीते लम्हे ......
सालिहा मंसूरी
02.01.16 05:22 pm
पल – दो – पल के सपने
आँख खुली तो , कुछ भी पास नहीं था
बस ! थे कुछ बीते लम्हे ......
सालिहा मंसूरी
02.01.16 05:22 pm
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