Saturday 16 May 2020

बहुत उदास हैं

बहुत उदास हैं ये दिन
बड़ी सहमी हैं ये रातें
हर  साँझ  है  जैसे
सूना  आँगन
हर आँख है जैसे
सावन का बादल

- सालिहा मंसूरी

24 . 2 .16 , 02 : 41 pm

कितनी कोशिशें

कितनी कोशिशें की थी मैंने
फिर  भी  मैं  हार  जाती  हूँ
अँधेरों से भी तो कितना लड़ी
फिर  भी  मैं  टूट  जाती  हूँ
कभी तो आये वो दिन वो रात
जब  मैं  कभी  न  हारूँ
जब  मैं  कभी  न  टूटूँ

- सालिहा मंसूरी
24 . 2. 16 , 02 : 50 AM

सिये हैं लब

सिये हैं लब मैंने इन्हीं
ज़माने वालों के तानों से
फिर भी है इंतजार किसी का
इन्हीं ज़माने वालों से

- सालिहा मंसूरी

23 . 2. 16 , 02 :14 pm

हर सफ़र तय करना है तुम्हें

हर सफ़र तय करना है तुम्हें
चाहे कितनी मुश्किलें आयें
हर - दर्द को सहना है तुम्हें
चाहे  कितने  तूफान  आयें

- सालिहा मंसूरी
23 .2.16 , 08 : 00 AM

कई शामें

कई शामें तेरी बातों की
तन्हाईयाँ लेकर आती हैं
कई रातें तेरी यादों की
परछाईयाँ लेकर आती हैं
कई सुबहें उम्मीदों की
किरणे लेकर आती हैं

- सालिहा मंसूरी
22 .2.16 , 03 : 50 pm

आज फिर उसी जगह

आज फिर उसी जगह पर बैठी हूँ
जहाँ बरसों पहले कभी मैंने
तुम्हारा इन्तज़ार किया था
लेकिन आज ! 
आज किसी का इन्तज़ार नहीं
आज तो बस जैसे
ज़िन्दगी से थककर बैठ गई हूँ

- सालिहा मंसूरी
22 .2.16 , ( 02 : 05 ) pm

Thursday 14 May 2020

कुछ ही दिनों में

कुछ ही दिनों में
कितना सब कुछ बदल गया
तुम बदल गए
मैं बदल गई
तेरे मेरे रिश्ते की
परिभाषा ही बदल गई
कितना चाहा था मैंने तुमको
क्या तुम्हें मालूम है
दिल से अपना बनाना
चाहा था मैंने तुमको
क्या तुम्हें मालूम है
पर तुम तो किसी
और के हो लिए
इक बार भी नहीं सोचा
कि मुझ पर क्या बीतेगी
तुम क्यों बदल गए
कैसे बदल गए
जब तुमको पाया तब
ऐसे तो नहीं थे तुम
अच्छे ,भले इंसान थे
मानवता को समझने वाले
रिश्तों को समझने वाले
सबके दर्द को समझने वाले
फिर इतना परिवर्तन कैसे ??

- सालिहा मंसूरी

17.5.17

ख़्वाबों में देखा है तुम्हें

ख़्वाबों में देखा है तुम्हें
सितारों में देखा है तुम्हें
कभी नज़रों से देख लूँ
तो सारे दर्द मिट जाएं

- सालिहा मंसूरी

21 .2 . 16 , 09 : 45 pm

छुपा लो हर ग़म

छुपा लो हर गम , हर दर्द , एहसास
अपनी इस भीनी सी मुस्कुराहट में
और सो जाओ मीठी नींद में खोकर
उम्मीदों और हौसलों के समन्दर में

- सालिहा मंसूरी

20 . 2. 16

जीवन

क्षण - भंगुर  है  ये  जीवन
फिर क्यों माया का है बंधन
पल दो पल के रिश्ते नाते फिर
क्यों दर्द भरा है दिल के अंदर

- सालिहा मंसूरी

20 - 2 - 16  , 07 : 20 ( pm )

अँधेरा

ले  डूबी  है  साँझ
सूरज की लाली को
देखो फिर भी निकला है
चाँद अँधेरा मिटाने को

- सालिहा मंसूरी

20.2.16, 05 : 20 pm

ख़ुशियाँ

ख़ुशियाँ  खो  गईं
मंज़िल  खो   गई
रस्ता   खो   गया
अँधेरा भी सो गया

- सालिहा मंसूरी ©

20.2.16 , 05 : 20 pm

मंज़िल

सब कहते हैं
मेरी मंजिल है कहाँ
मैं कहती हूँ
तुम जहाँ मिल जाओ
मेरी मंजिल है वहाँ

- सालिहा मंसूरी

20 .2.16 , 02 : 55 ( pm )

Tuesday 11 September 2018

मेरी दुनियां हो


मेरी दुनियां हो
मेरी मंजिल हो
मेरी ज़िन्दगी हो तुम
हाँ ! मेरा सब कुछ हो तुम ...

- सालिहा मंसूरी
20.02.16    02.45 pm

जो अटल है ,अमर है


जो अटल है ,अमर है
वो है ध्रुव तारा
और इक है
मेरा ब्विश्वास ......

- सलिहा मंसूरी
17.02.16    11.45 pm

Friday 20 July 2018

मिल जाओगे इक दिन मुझे तुम

मिल जाओगे इक दिन मुझे तुम
होगा मेरा फिर सवेरा
राहों से राहें जुदा न हों किसी से
खो जाये बस ये अँधेरा
मिल जाये तेरी नज़रों को 
मंजिल ख़ुशी की
बस ! इतना सा ख्वाब है मेरा 

- सालिहा मंसूरी
17.02.16      09.00 pm

Tuesday 10 July 2018

जब तुम मुझे मिल जाओगे


ये सदियों से भी लम्बा इंतज़ार
इक दिन ख़त्म हो जाएगा
जब तुम मुझे मिल जाओगे

ये बेनाम सा दर्द भी
इक दिन ठहर जाएगा
जब तुम मुझे मिल जाओगे ....

- सलिहा मंसूरी
19.02.16      09.14 pm

Monday 18 June 2018

तक़दीर


अब इन स्याह रातों से 
मुँह मोड़ना कैसा
ये तो तकदीर हैं
मेरी जिंदगी की
जो चलेंगी उम्र भर 
यूं ही साथ मेरे
कभी तड़पेंगी कभी तरसेंगी 
सुनहरी धूप की खातिर
पर जानती हूँ मैं,  
इन स्याह रातों का
कोई सवेरा नहीं 

- सालिहा मंसूरी
11.02.15

Thursday 24 May 2018

अँधेरों में मुँह छुपा लो

अँधेरों  में  मुँह  छुपा  लो
कि इन आँसुओं को कोई देख न ले
तन्हाईयों को गले लगा लो
कि इस बेबसी को कोई परख न ले
- सालिहा मंसूरी
15 - 02 - 16  
07 : 45 pm

Wednesday 13 December 2017

आज फिर तन्हा हूँ मैं

आज फिर तन्हा हूँ मैं
तुमसे बिछड़कर
लेकिन कुछ पल
जैसे आज भी जिन्दा हैं
कुछ लम्हें 
जैसे आज भी ठहरे हैं ....
- सालिहा मंसूरी

14.02.16 

Tuesday 14 November 2017

हर रात के साथ – साथ

हर रात के साथ – साथ
ये दिन भी ढल जाएंगे
हवाओं के साथ – साथ
ये ग़म भी खो जाएंगे
वक़्त के साथ – साथ
ये ज़ख्म भी भर जाएंगे ....

- सालिहा मंसूरी
09.02.16     08.30 pm

Friday 11 August 2017

इस रात के ख़त्म होते ही

इस रात के ख़त्म होते ही
ये स्याह अँधेरे भी ख़त्म हो जाएंगे
जब इक नई सुबह
तुम्हारे घर के आँगन में
सुनहरी धूप बनकर बरसेगी 

- सालिहा मंसूरी
09.02.16     04.10 pm 

Thursday 10 August 2017

किसी की याद दिल से

किसी की याद दिल से
यूँ जुदा नहीं होती
साँस रुक जाये लेकिन
तन्हाई फ़ना नहीं होती
उम्र भर चलती है हर सफ़र में
किसी साये की तरह साथ – साथ 

- सालिहा मंसूरी

  22.02.16 

Monday 26 June 2017

चलो चलें दोस्त !

चलो चलें दोस्त !
इस दुनिया से बहुत दूर
कि पीछे छूट जाए , ये सारा ज़माना
और खो जाएँ , उस दुनिया की रंगीनी में हम तुम
जहाँ ख़त्म हो जाए ये सारा फ़साना .....

- सालिहा मंसूरी
04.02.16   03.49 pm 

न तुमने अपनाया न दुनिया ने

न तुमने अपनाया न दुनिया ने
देखो ! फिर भी जिन्दा हूँ मैं   
बस ! इक उम्मीद के सहारे ....

- सालिहा मंसूरी
29.01.16   04.43 pm 

Sunday 25 June 2017

मिल जाओ किसी मोड़ पर इक दिन तुम

मिल जाओ किसी मोड़ पर इक दिन तुम
सुनहरी धूप बनकर , तो फिर से जी उठूँ मैं 
बस जाओ मेरी आँखों में किसी शब तुम
ख़्वाबों की ताबीर बनकर , तो फिर से खिल उठूँ मैं
किसी महके हुए फूल की तक़दीर बनकर ....

- सालिहा मंसूरी
27.01.16  09.00 pm   

Friday 23 June 2017

मुझे क्या समझोगे दुनिया वालो

मुझे क्या समझोगे दुनिया वालो
जब खुद को ही समझा नहीं
मुझे क्या संभाल पाओगे
जब खुद को ही संभाल पाया नहीं

- सालिहा मंसूरी

25.01.16 pm 

Wednesday 14 June 2017

कितने बार दिल हारा है

कितने बार दिल हारा है
कितनी ही बार हारी हूँ मैं

फिर भी हर बार संभाला है खुद को
कितनी ही बातों से समझाया है खुद को

कितनी उम्मीदें ,कितनी ख्वाहिशें ,कितने ही ख़्वाब
बस ! जलते बुझते से जुगनू की तरह

दफ्न पड़े हैं आज भी
ख़ामोशी की कब्र में ....

सालिहा मंसूरी

23.01.16  05:58 pm 

तोड़ दो इक दिन आकर

तोड़ दो इक दिन आकर
इन बंद लबों की ख़ामोशी को तुम
और दे दो इक हंसीं मुस्कराहट
इन सहमे से लबों पर तुम ....

सालिहा मंसूरी

21.01.16 pm 

जा रही हूँ तुझसे बहुत दूर

जा रही हूँ तुझसे बहुत दूर
तेरी हर याद को दामन में समेटे हुए
संजोकर रखूँगी इक इक पल को
पलकों की इक इक बूँद में लपेटे हुए ....

सालिहा मंसूरी  
              
20.01.16  08:07 pm 

Saturday 10 June 2017

भीड़ मैं भी तन्हां रहती हूँ आजकल

भीड़ मैं भी तन्हां रहती हूँ आजकल
कितने ही चेहरों के साथ भी खोई रहती हूँ आजकल
कितने ही सवालों के जवाब मैं उलझी रहती हूँ आजकल
लेकिन ख़ामोशी से सब कुछ सह लेती हूँ आजकल

सालिहा मंसूरी –

19 .01.16  06:55 

Sunday 4 June 2017

बेबाक , बेख़ौफ़ होकर

बेबाक , बेख़ौफ़ होकर
इस दुनिया में जीना है तुम्हें
न दुनिया से डरना      
न लोगों की सुनना
बस ! अपने दिल की
आवाज़ को सुनना है तुम्हें ....

सालिहा मंसूरी -

15.01.16 pm

Saturday 3 June 2017

तुम्हीं ने हँसना सिखाया था

तुम्हीं ने हँसना सिखाया था
तुम्हीं ने रोना सिखा दिया
तुम्हीं ने जीना सिखाया था
और आज तुम्हीं ने मरना सिखा दिया .....

सालिहा मंसूरी

15.01.16 pm


प्यार तो प्यार है

प्यार तो प्यार है , कोई सौदा नहीं है
प्यार का नाम भी , बस ! प्यार है
कोई दूजा नहीं है .....

सालिहा मंसूरी

15.01.16  08:55 pm 

इस दुनिया से रुखसत होते वक़्त भी

इस दुनिया से रुखसत होते वक़्त भी
होठों पे तेरा नाम होगा
तू मेरे साथ न सही
लेकिन मेरा साया
हर वक़्त तेरे साथ होगा .....

सालिहा मंसूरी -

08:27 pm  15.01.16

Friday 2 June 2017

फूल ही फूल हैं

फूल ही फूल हैं , रंगे फिज़ा में
फिर भी है ख़ामोश तू
ढूंढती है किसको बेख़बर 
यूँ अकेली आज तू ......

सालिहा मंसूरी -

15.01.16   06.41 pm 

सोचा था अब जो तुम मिले हो

सोचा था अब जो तुम मिले हो
तो आसाँ है हर सफ़र जिंदगी का अपना

सोचा न था दो क़दम साथ चलकर
यूँ ख़त्म हो जायेगा हर सफ़र जिंदगी का अपना

सालिहा मंसूरी -

14.01.16    04:49 pm 

Sunday 7 May 2017

तुम कभी नहीं मिलोगे मुझे

तुम कभी नहीं मिलोगे मुझे
अब ये जान चुकी हूँ मैं
अपने दिल से हर इक ख्वाब
मिटाना होगा मुझे
अब ये मान चुकी हूँ मैं

मेरी उम्मीदों से भरा हौसला भी
अब टूट चूका है
मेरा अटल अमर विश्वास भी
ज़र्रा – ज़र्रा होकर बिखर चुका है
ज़िन्दगी की हर जंग
हार चुकी हूँ मैं
हाँ ! अब हार चुकी हूँ मैं ...


सालिहा मंसूरी 

28.01.16
04.17 pm

Friday 5 May 2017

बन्द पलकों के ख्वाब टूटे हैं

बन्द पलकों के ख्वाब टूटे हैं
खुली आँखों का इंतज़ार नहीं टूटा
दो क़दम चलकर तेरे हाथ छूटे हैं
तेरा जीवन भर का साथ नहीं छूटा
तेरे शब्दों की गूँज से दिल टूटा है
मेरा अपनी उम्मीदों पर एतवार नहीं टूटा ....

सालिहा मंसूरी -
12.01.16   10:30 pm 

Friday 10 February 2017

उजड़ी हुयी दुनिया को

उजड़ी हुयी दुनिया को 
प्यार की महफ़िल समझ बैठे 
डूबी हुयी कश्ती को 
प्यार की मंजिल समझ बैठे 
कितने नादां हैं , ये दुनिया के लोग भी 
जो टूटे हुए दिल को भी  
ज़ख्मों का समन्दर समझ बैठे .......  

सालिहा मंसूरी 

12.01.16  09:15 pm